27 सितंबर, 2016

अस्थिर बिंदु - -

अस्थिर शिशिर बिंदु है अनुराग तुम्हारा
उन्मुक्त कमल पत्र सा हृदय हमारा,
बिहान और सूरज का अनुबंध
है चिरस्थायी, रहने दे
अन्तर्निहित कुछ
शेष प्रहर के
पल यूँ
ही अपरिभाषित, किसे ख़बर कब हो जाए
विलीन ये क्षण भंगुर जीवन।

* *
- शांतनु सान्याल

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