13 अप्रैल, 2014

उनकी आँखों का जादू - -

 कठपुतली की तरह थे मेरे जज़्बात 
सदियों से मुन्तिज़र, तिलिस्म 
उनकी निगाहों का बाँध 
रखा मुझे उम्र भर, 
चाह कर भी 
न तोड़ 
सका वो पोशीदा उल्फ़त के रेशमी -
धागे, हर सांस पे थी उनकी 
मुहोब्बत की मुहर !
जिस्म तो है 
मिट्टी का 
खिलौना जिसका बिखरना इक दिन 
है मुक़र्रर, उसने चाहा है मुझे 
लेकिन रूह से बढ़ कर, 
तिलिस्म उनकी 
निगाहों 
का बाँध रखा मुझे उम्र भर - - - - - - 

* * 
- शांतनु सान्याल 

http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
Painting-by-John-Fernandes

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