30 अगस्त, 2012

किसे ख़बर - -

वो लचक कहाँ बाक़ी गुल झरने के बाद,
तर्जुमा ए जज़्बात चाहे जो भी हो -
इक ख़ुमार सा तारी रहा देर
तक, हालाकि दिल था
ग़मगीन उससे
बिछड़ने के
बाद,
अब किसे ख़बर, कौन होगा मुताशिर -
ख़ुश्बू ए मुहोब्बत बिखरने के
बाद, उसकी हर सांस में
जैसे उठती रहीं रह
रह कर कोई
ख़ुफ़िया
तरन्नुम, अब ज़मीं ओ आसमां सब
लगे एक से, किसे मालूम क्या
है ख़लाओं में, जिस्म से
रूह निकलने के
बाद - - -

- शांतनु सान्याल

22 अगस्त, 2012

पल भर में


मेरी आँखों से जो बूंद गिरे, न थे वो शबनम,  
न ही कोई क़ीमती जवाहिर, तेरी दामन
की पनाह थी शायद सीप की चाहत,
जो रात ढलते मोतियों में यूँ 
सभी तब्दील हो
गए !
मेरा वजूद था, समंदर का ख़ामोश किनारा, 
सीने में लिए कोई आग गहरा, तेरी 
मौज ए मुहोब्बत में थी वो 
ताशीर, कि सभी संग - 
ए अज़ाब, पल भर 
में असील हो
गए !

- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/


painting - Sea coast. Wave - Ivan Aivazovsky 

20 अगस्त, 2012

गुमशुदा जिस्म

मेरा हर क़दम उसकी जानिब बढ़ा, 
ये और बात है कि वो  दूर ही 
रहा, इन दूरियों में हैं 
कितने मरहले 
न ये वो 
जान
पाए न दिल कह सका, फिर भी न 
जाने क्यूँ, वो मेरा हमनफ़स
रहा, कभी निगाहों से 
जा दिल की ला -
महदूद 
गहराई तलक, वो मुझे तलाशता 
रहा, कभी मेरे जिस्म की 
रग़ों से गुज़र, वो 
सांसों से  यूँ 
बिखरता
रहा गोया बिन खिला कोई गुमनाम
गुल हो मौजूद मेरे अन्दर, न ही 
मौसम ए बहार की आमद, 
न वादियों में है ख़ुमार
कोई, फिर भी न 
जाने क्यूँ 
ज़िन्दगी सुबह ओ शाम अपने आप 
अक्सर महकता रहा - - - 

- शांतनु सान्याल  
alone traveler 

16 अगस्त, 2012

ज़रूरी है - -

शिद्दत ए ग़म जो भी हो, ज़िन्दगी
से निबाह ज़रूरी है, मुस्कराते
हैं भीगी पलक लिए, वो 
यूँ अक्सर तनहा !
बहार आने 
से पहले, 
जैसे
ख़ुशबू ए अफ़वाह ज़रूरी है, कोई 
मिले न मिले जीने के लिए 
लेकिन इक चाह 
ज़रूरी है - - 

- शांतनु सान्याल
artist peter pettegrew 
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/

14 अगस्त, 2012

सफ़र ए तीरगी


वो सुबह जिसकी तलाश में ताउम्र खुली -
रहीं निगाहें, न रात ही ढली न तुम आये,

तक़रीबन उजड़ने को है,दिल की दुनिया
न तुमने कुछ कहा, न हम ही जान पाए,

वो राज़ जो दफ़न हैं जनम लेने से पहले
नदारद है रूह,सिर्फ़ बैठे हैं जिस्म सजाये,

तुम भी अलहदा कहाँ हो, दौर ए जहाँ से
नाहक़ किसी के इश्क़ में यूँ आंसू बहाए,

रात ओ मेरा वजूद हैं, हम आहंग बहोत -
काश, सफ़र ए तीरगी  तन्हा गुज़र जाये,

- शांतनु सान्याल

http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
painting by CAROL SCHIFF

06 अगस्त, 2012


दो लफ़्ज़
ज़मीर से उठ कर जब अहसास बने मुक़द्दस, 
कोई ख़ूबसूरत पैकर, दिल में तब जागते 
हैं परस्तिश, तसव्वुर से कहीं आगे, 
हर इन्सान जहाँ लगे यकसां,
हर लब पे खिले मुस्कान 
दुआओं वाले, चेहरे 
पर उभरे वो 
पाकीज़गी मुस्तक़ल, झुक जाएँ ज़ालिमों के 
सर अपने आप, ये ख़ुदा दे मुझे वो 
रहमत कि हर सांस में हों 
इंसानियत रवां, 
कि हर 
चेहरे पे देखूं तेरा ही अक्श, नूर ए आबशार,

- शांतनु सान्याल 
Artist Peter Kelly 
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/

04 अगस्त, 2012


कोई राज़ गहरा 

दर्द जो न निगाहों से छलके, न ज़बां से बिखरे 
दिल की गहराइयों में थे, वो सभी ताउम्र ठहरे,

उनकी नज़र में इश्क़ उतरन से नहीं ज़ियादा
ये वो ज़ेवर हैं, जो पिघल कर और भी निखरे,

अनबुझी प्यास है ज़िन्दगी, रहे हमेशा यूँ ही !
डूबने की चाहत बहुत, झील कहाँ उतने गहरे,

उसने छुआ था कभी इस नफ़ासत से दिल को, 
कि लाजवाब से देखते रहे वक़्त के सभी पहरे,

उसकी छुअन में था शायद, कोई राज़ गहरा !
साँस तो गुज़र गई, जिस्म घेरे रहे घने कोहरे,

- शांतनु सान्याल 


Painting by Ivan Aivazovsky 2

http://sanyalsduniya2.blogspot.in/

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