19 अप्रैल, 2023

परिचित किनारा - -

मखमली अहसास में कोई गीत लिखना,
 
लौटती हैं शाम ढले, यादों की कश्तियाँ,
जाते जाते गोधूलि को मेरा प्रीत लिखना,

तुलसी तले, माटी का जब प्रदीप जले,
हथेली पर काजल से, मनमीत लिखना, 

पीपल के पातों में रुक जाएँ हवाएं, न  -
बुझे लौ दुआ के इसे बहुगुणित लिखना,

बिखरते बूंदों में हैं कहीं बच्चों की हंसी
किलकारियों से उसे अनगिनत लिखना,

पसीने और कच्चे धान की ख़ुश्बू मिला -
 नदी के बहते धारों में हार जीत लिखना, 
  
झूलतीं बरगद की जटाएं, ज़रा सा ठहरो,
चाँदनी रात में नया प्रणय संगीत लिखना, 

अनजान सा हूँ मैं, इन भूल भूलैयों से, हो
सके तो किनारों अपना परिचित लिखना |

- -  शांतनु सान्याल 

14 टिप्‍पणियां:

  1. मखमली अहसास में कोई गीत लिखना
    लौटतीं हैं शाम ढले यादों की कश्तियाँ -
    जाते जाते गोधूलि को मेरा प्रीत लिखना,
    तुलसी तले माटी का दीप जब जले -waah

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 20 अप्रैल 2023 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 20 अप्रैल 2023 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  4. नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार 20 अप्रैल 2023 को 'राहें ही प्रतिकूल हो गईं, सोपानों को चढ़ने में' (चर्चा अंक 4657) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

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