13 अप्रैल, 2011

कटाल के फूल

ज़िन्दगी की वो तमाम मजबूरियां
हमने यूँ छुपा ली, लोग समझे की
दर्द की इन्तहां हो गई -
दरअसल किसी की मुहोब्बत ने हमें
सख्त पत्थरों में तब्दील कर दिया,
ज़िद्दी हवाओं ने आखिर अपना रुख़
मोड़ा, लड़ाकू तूफान समझौता नहीं
जानता, कभी कभी प्यार में खुबसूरत
हार में भी जीत की महक होती है,
चट्टान की दरारों में अक्सर कटाल के
फूल खिलते देखे हम ने, तुम चाह कर
भी दामन बचा न पाए -
 शबनमी बूंदों की तरह ज़िन्दगी में
बूंद बूंद बिखरते चले गए, कंटीला ही
सही, मेरा वजूद तुम्हें अपना बना गया - -
- शांतनु सान्याल

3 टिप्‍पणियां:

  1. वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तरी की जाये उतनी कम होगी
    आप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
    बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
    अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
    आपका मित्र दिनेश पारीक

    जवाब देंहटाएं
  2. वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तरी की जाये उतनी कम होगी
    आप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
    बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
    अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
    आपका मित्र दिनेश पारीक

    जवाब देंहटाएं

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past